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उज्जैन । उज्जैन संभाग के अंतर्गत आने वाली कृषि उपज मंडी समिति मंदसौर में पदस्थ प्रतिनियुक्ति पर सन 1979 से वर्तमान तक पदस्थ रहकर खूब भ्रष्टाचार किया गया था। इस भ्रष्ट एसपी सिंह उपयंत्री की जांच आज दिनांक तक कृषि उपज मंडी समिति में हुए करोड़ों के निर्माण कार्यों की जांच अगर की जाती है तो करोड़ों पर भ्रष्टाचार का पटाक्षेप हो सकता है। यह भ्रष्ट एसपी सिंह उपयंत्री महाविद्यालय ग्वालियर से प्रतिनियुक्ति पर कृषि उपज मंडी समिति आए थे । जब से आज दिनांक तक लगभग 20 से 25 वर्ष बीत चुके हैं और यह 3 वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर कृषि उपज मंडी समिति मन्दसौर में पदस्थ हुए जब से आज तक पदस्थ है प्रतिनियुक्ति का नियम है कि जिस विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति समाप्त होने पर अपना मूल विभाग में वापस होना होता है इसका नियम यह है कि अगर आप विभाग के प्रति निष्ठा ईमानदारी से कार्य करते हैं तो विभाग की अनुशंसा पर प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी कर्मचारियों का 3 वर्ष का कार्यकाल और बढ़ा दिया जाता है इसके बाद जैसे ही 3 वर्ष के कार्यकाल समाप्त होते ही अपने मूल विभाग में आमद देना होती है पर यह तो कृषि महाविद्यालय से प्रतिनियुक्ति पर 1979 में पदस्थ हुआ है जब से आज का सांप की तरह कुंडली मारे बैठा हुआ था और कृषि उपज मंडी समिति और शासन को चुना लगा रहा था। इस भ्रष्ट का आका भाजपा का एक मन्दसौर का कद्दावर नेता बताया जाता है। क्योंकि यह भ्रष्ट एसपी सिंह उपयंत्री द्वारा किए कराए गए भ्रष्टाचार का टुकड़ा इस नेता को डालता था । इसी वजह से यह भ्रष्ट मन्दसौर मण्डी को दीमक की तरह चाट रहा था अभी हाल ही में इस भ्रष्ट का यहां से स्थानांतरण मूल विभाग कृषि महाविद्यालय गवालियर में कर दिया गया है। पर यह भ्रष्ट के कार्यकाल में हुए करोड़ों के घोटालों की जांच कौन करेगा मंदसौर मंडी में ही रहते हुए करोड़ों के निर्माण मात्र कागजों पर ही खड़े कर दिए गए । और ऐसे कई निर्माण नियम विरुद्ध किए गए एवं कराए गए हैं जिसकी अपने विभाग से अनुमति ही नहीं है । यह एक दर्जन से भी अधिक निर्माण है जिसकी जांच करने पर सारा मामले का पता लग सकता है। एसपी सिंह की पद्धथी अवधि में ऐसे ऐसे निर्माण कार्य हुआ कि निर्माण करते-करते ही वह धराशाई हो गए और कृषि उपज मंडी में कृषक अपनी उपज मंडी में बेचने आया था जिसे घायल होकर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था ऐसे ऐसे निर्माण इन के द्वारा किए गए हैं । जिसकी जांच की जाना अति आवश्यक है मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड भोपाल में जबसे प्रबंध संचालक के रूप में अशोक कुमार वर्मा पदस्थ हुए हैं। जब से मंडीबोड एवं मुख्यालय व प्रदेश की मंडियों को दीमक की तरह चाटने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया है। अभी और भी प्रनियुक्तियों की भरमार मंडियों मंडीबोड मुख्यालयों में पदस्थ हैं इनकी भी जांच कर इनको भी इनके मूल विभाग में पदस्थ किया जाए जिससे मण्डी मंडीबोड मुख्यालय में पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों को उनकी पदोन्नति क्रमोन्नति का लाभ मिल सके प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड भोपाल में पदस्थ आधा दर्जन से अधिक प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी उपसंचालक बन बैठे हैं। यह उप संचालक माननीय न्यायालय के आदेश से बने हैं इस पूरे मामले की फाइल पुनः दोबारा से जांच कराई जाती है तो उप संचालक बनने में कैसे दस्तावेजों का खेल खेला गया है । अति विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार जिस फाइल से उपसंचालक बने वह फाईल अब मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड मुख्यालय भोपाल कार्यालय में नहीं है। इसकी जांच की जाना अति आवश्यक है। इस पूरी फाइल में वो राज दफन है जो जग जाहिर करना आवश्यक है।
कृषि उपज मंडी समिति मंदसौर में।
1997 से प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ रहकर किया करोड़ों का वारा न्यारा।
उपयंत्री को अपने मूल विभाग पहुंचाने में मंडीबोड को लगे 25 वर्ष।
एस.पी. सिंह उपयंत्री की कृषि उपज मंडी मन्दसौर से प्रतिनियुक्ति समाप्त, मूल विभाग राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर पहुंचे ।