उज्जैन । उज्जैन मंडी बोर्ड कार्यालय उज्जैन में 1979 से 20-5-2019 तक पदस्थ रही थी सहायक लेखा अधिकारी सुष्मिता जैन द्वारा कैसे अपने विभाग को पहले भी चूना लगाया और यहां से स्थानांतरण होने के बाद भी मंडी बोर्ड को मकान के नाम पर चुना लगा रही है। जबकि मंडी बोर्ड द्वारा मकान क्रय करने के लिए मंडी बोर्ड से लोन लिया गया है। जिसकी विधिवत लोन की किस्त काटी जा रही है तो फिर 1979 से आज दिनांक नाम मात्र के किराए पर मंडी बोर्ड द्वारा बनाए गए महानंदा नगर में मंडी बोर्ड के सरकारी आवास का क्यों कर रही उपयोग अपना निजी मकान को किसी अन्य किराएदार को किराये से देकर निजी लाभ कमा रही है। वही सरकारी मंडी बोर्ड को लूट रही है। जबकि शासन का नियम है कि आपका निजी मकान होते हुए आप किसी भी संस्था में सरकारी बंगले में नहीं रह सकते हैं। उसके बाद भी मंडी बोर्ड के स्वामित्व का बंगला खाली नहीं कर अपना खरीदा मकान को किराए पर देकर मोटी रकम किराया के तौर पर वसूल करके खुद नाम मात्र के किराए पर मंडी बोर्ड के बंगले में रहकर मंडी बोर्ड को चुना लगा रही हैं यहां पर शासन की आंखों में धूल झोंक रही है इस महिला सहायक लेखाधिकारी सन 1996 में उज्जैन में पदस्थ हुई थी तब से अभी तक पदस्थ रही अभी हाल ही में इस सहायक लेखा अधिकारी का उज्जैन से भोपाल मुख्यालय मैं दिनांक 20-6- 2019 को स्थानांतरण शिकायतें भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते किया गया है। इसी लंबे अंतराल की पदस्थ अवधि के दौरान कई बार नियम विरुद्ध क्रमोन्नति पदोन्नतिया यहां रहते हुए ले ली गई वहीं इनका उज्जैन से स्थानांतरण हुए 6 माह से अधिक समय बीत चुका है उसके बाद भी इनके द्वारा सरकारी मंडी बोर्ड के आवास का मोह भंग नहीं हुआ है। वही मंडी बोर्ड के सरकारी आवास को खाली नहीं कर रही है अति विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि सहायक लेखा अधिकारी वापस उज्जैन आने के लिए भ्रष्टाचार की काली कमाई को जिस अटैची में बंद करके रखा है उसी अटैची का मुंह खोलकर पुनः उज्जैन आने की फिराक में है । इसी वजह से सहायक लेखा अधिकारी सुस्मिता जैन सरकारी आवास को खाली नहीं कर उज्जैन आने की जुगाड़ लगा रही है पर कामयाबी तक पहुंच नहीं पा रही है वहीं प्रभारी मंत्री से लगाकर कई जन सेवकों तक अपने स्थानांतरण करवाने की गुहार लगा चुकी है । पर कामयाबी हाथ नहीं लगी ह
[22/10, 1:22 AM] कर्मयज्ञ: मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड आंचलिक कार्यालय उज्जैन में वर्ष 1988-89 से 2019 तक पदस्थ रही लेखापाल श्रीमती सुष्मिता जैन जो कि वर्तमान में सहायक लेखा अधिकारी आंचलिक कार्यालय में पदस्थ रही थी। कार्यालय में लेखा का काम देख रहे हैं स्व. श्री कैलाश पांडेजी के निधन होने पर उनके ऊपर पूरा प्रकरण लाद कर इस महिला लेखाधिकारी ने लाखों का गबन किया जोकि कार्यालय में रखे हुए दस्तावेजों लोकल फंड ऑडिट से पूरा भ्रष्टाचार का पटाक्षेप हो सकता है। सुष्मिता जैन द्वारा अपने उज्जैन पदस्थगी के 27 वर्ष एक ही स्थान पर पदस्थ रहकर पूर्ण कर गबन कांड की कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि इस महिला ने कैश बुक गुम होने के संबंध में ना तो मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड आंचलिक कार्यालय उज्जैन और ना ही सहायक लेखापाल लेखा अधिकारी द्वारा पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं की गई कार्यालय में रखी गई लाखों की सिलक का क्या हुआ । इतने बड़े गंभीर प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं किया जाना कार्यालय और बोर्ड मुख्यालय के अधिकारी की मिलीभगत यह सिद्ध करता है बोर्ड द्वारा पिछले 20 वर्षों से आंचलिक कार्यालय को पत्र लिखा जाकर मात्रा अभीमत मांगा जा रहा है जबकि तत्काल इस महिला को निलंबित करना चाहिए था इस पर विभागीय कार्यवाही को किया जाना था जो नहीं किया गया उल्टा इस महिला का प्रमोशन पर प्रमोशन दिया गया जो कि एक गंभीर भ्रष्टाचार और जांच का विषय है । आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई अपना भवन 6000 मासिक किराए पर दिया गया भवन से प्राप्त आई का अपने चल अचल संपत्ति के विवरण पत्रक में नही दीया जाना शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिसकी जांच की जाना चाहिए पर आज तक जांच नहीं कि जाकर विगत 15 वर्षों से स्थापना शाखा में वेतन इंक्रीमेंट अवकाश नदी करण समयमान वेतनमान के काम कर रही थी। जिससे इसके द्वारा कर्मचारियों से हजारों रुपए की अवैध उगाही की जाती रही थी जिसकी शिकायत होने पर भी संयुक्त संचालक द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस केशबुक ब्हाऊचर काण्ड की पुनः जांच की जाना चाहिए जिससे असिलियत पर से पर्दा उठ सके।[21/10, 11:44 PM] कर्मयज्ञ: उज्जैन । उज्जैन मंडी बोर्ड कार्यालय उज्जैन में 1979 से 20-5-2019 तक पदस्थ रही थी सहायक लेखा अधिकारी सुष्मिता जैन द्वारा कैसे अपने विभाग को पहले भी चूना लगाया और यहां से स्थानांतरण होने के बाद भी मंडी बोर्ड को मकान के नाम पर चुना लगा रही है। जबकि मंडी बोर्ड द्वारा मकान क्रय करने के लिए मंडी बोर्ड से लोन लिया गया है। जिसकी विधिवत लोन की किस्त काटी जा रही है तो फिर 1979 से आज दिनांक नाम मात्र के किराए पर मंडी बोर्ड द्वारा बनाए गए महानंदा नगर में मंडी बोर्ड के सरकारी आवास का क्यों कर रही उपयोग अपना निजी मकान को किसी अन्य किराएदार को किराये से देकर निजी लाभ कमा रही है। वही सरकारी मंडी बोर्ड को लूट रही है। जबकि शासन का नियम है कि आपका निजी मकान होते हुए आप किसी भी संस्था में सरकारी बंगले में नहीं रह सकते हैं। उसके बाद भी मंडी बोर्ड के स्वामित्व का बंगला खाली नहीं कर अपना खरीदा मकान को किराए पर देकर मोटी रकम किराया के तौर पर वसूल करके खुद नाम मात्र के किराए पर मंडी बोर्ड के बंगले में रहकर मंडी बोर्ड को चुना लगा रही हैं यहां पर शासन की आंखों में धूल झोंक रही है इस महिला सहायक लेखाधिकारी सन 1996 में उज्जैन में पदस्थ हुई थी तब से अभी तक पदस्थ रही अभी हाल ही में इस सहायक लेखा अधिकारी का उज्जैन से भोपाल मुख्यालय मैं दिनांक 20-6- 2019 को स्थानांतरण शिकायतें भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते किया गया है। इसी लंबे अंतराल की पदस्थ अवधि के दौरान कई बार नियम विरुद्ध क्रमोन्नति पदोन्नतिया यहां रहते हुए ले ली गई वहीं इनका उज्जैन से स्थानांतरण हुए 6 माह से अधिक समय बीत चुका है उसके बाद भी इनके द्वारा सरकारी मंडी बोर्ड के आवास का मोह भंग नहीं हुआ है। वही मंडी बोर्ड के सरकारी आवास को खाली नहीं कर रही है अति विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि सहायक लेखा अधिकारी वापस उज्जैन आने के लिए भ्रष्टाचार की काली कमाई को जिस अटैची में बंद करके रखा है उसी अटैची का मुंह खोलकर पुनः उज्जैन आने की फिराक में है । इसी वजह से सहायक लेखा अधिकारी सुस्मिता जैन सरकारी आवास को खाली नहीं कर उज्जैन आने की जुगाड़ लगा रही है पर कामयाबी तक पहुंच नहीं पा रही है वहीं प्रभारी मंत्री से लगाकर कई जन सेवकों तक अपने स्थानांतरण करवाने की गुहार लगा चुकी है । पर कामयाबी हाथ नहीं लगी है।
मंडी बोर्ड कार्यालय उज्जैन में 1996 से 20 19 तक पदस्थ रहकर, सुष्मिता जैन बनी करोड़पति।
20 -6-2019 को भोपाल मुख्यालय हुआ जैन का स्थानांतरण, वापस उज्जैन आने की फिराक में।
उज्जैन से भोपाल स्थानांतरण हुए 6 माह बीते।
निजी मकान को किराए पर सरकारी आवास पर निवास, मंडी बोर्ड को हर माह हजारो का चूना लगाया: मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड आंचलिक कार्यालय उज्जैन में वर्ष 1988-89 से 2019 तक पदस्थ रही लेखापाल श्रीमती सुष्मिता जैन जो कि वर्तमान में सहायक लेखा अधिकारी आंचलिक कार्यालय में पदस्थ रही थी। कार्यालय में लेखा का काम देख रहे हैं स्व. श्री कैलाश पांडेजी के निधन होने पर उनके ऊपर पूरा प्रकरण लाद कर इस महिला लेखाधिकारी ने लाखों का गबन किया जोकि कार्यालय में रखे हुए दस्तावेजों लोकल फंड ऑडिट से पूरा भ्रष्टाचार का पटाक्षेप हो सकता है। सुष्मिता जैन द्वारा अपने उज्जैन पदस्थगी के 27 वर्ष एक ही स्थान पर पदस्थ रहकर पूर्ण कर गबन कांड की कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि इस महिला ने कैश बुक गुम होने के संबंध में ना तो मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड आंचलिक कार्यालय उज्जैन और ना ही सहायक लेखापाल लेखा अधिकारी द्वारा पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं की गई कार्यालय में रखी गई लाखों की सिलक का क्या हुआ । इतने बड़े गंभीर प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं किया जाना कार्यालय और बोर्ड मुख्यालय के अधिकारी की मिलीभगत यह सिद्ध करता है बोर्ड द्वारा पिछले 20 वर्षों से आंचलिक कार्यालय को पत्र लिखा जाकर मात्रा अभीमत मांगा जा रहा है जबकि तत्काल इस महिला को निलंबित करना चाहिए था इस पर विभागीय कार्यवाही को किया जाना था जो नहीं किया गया उल्टा इस महिला का प्रमोशन पर प्रमोशन दिया गया जो कि एक गंभीर भ्रष्टाचार और जांच का विषय है । आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई अपना भवन 6000 मासिक किराए पर दिया गया भवन से प्राप्त आई का अपने चल अचल संपत्ति के विवरण पत्रक में नही दीया जाना शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिसकी जांच की जाना चाहिए पर आज तक जांच नहीं कि जाकर विगत 15 वर्षों से स्थापना शाखा में वेतन इंक्रीमेंट अवकाश नदी करण समयमान वेतनमान के काम कर रही थी। जिससे इसके द्वारा कर्मचारियों से हजारों रुपए की अवैध उगाही की जाती रही थी जिसकी शिकायत होने पर भी संयुक्त संचालक द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस केशबुक ब्हाऊचर काण्ड की पुनः जांच की जाना चाहिए जिससे असिलियत पर से पर्दा उठ सके।